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लीथियम में भारत बनेगा आत्मनिर्भर, राजस्थान में मिले अकूत भंडार- चीन को देगा मात

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राजस्थान के रेतीले धोरों में लीथियम के अकूत भंडार मिले हैं. राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना में लीथियम के भंडार मिलने की पुष्टि हुई है. जिओलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार डेगाना की रेंवत पहाड़ियों पर लीथियम का बड़े भंडार है. डेगाना की रेंवत पहाड़ियां देश की एक मात्र वो पहाड़ी है जिसने सबसे पहले देश को टंगस्टन धातु उपलब्ध कराया है.

जीएसआई की सर्वे रिपोर्ट के अंतिम चरण में डेगाना की रेंवत पहाड़ियों पर लीथियम के भंडारों की पुष्टि हुई है. ‘व्हाइट गोल्ड’ के नाम से भी जाना जाने वाले लीथियम से खाड़ी देशों की तरह राजस्थान की किस्मत के सितारे भी चमकेंगे.

नागौर के डेगाना में लीथियम के प्रचुर भंडार मिले हैं. वहीं पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में लीथियम भंडारण की संभावनाएं सामने आई हैं. बाड़मेर के जिओलॉजिस्ट देवेन्द्र सिंह की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना की रेंवत पहाड़ियों के साथ साथ पाली जिले के बड़ाबर में, जोधपुर के बाप क्षेत्र में, जैसलमेर के पोकरण में, नागौर जिले के कुचामन व डीडवाना, चूरू के सुजानगढ़ व तालछापर और बाड़मेर जिले के पचपदरा में भी लीथियम भंडारण की सकारात्मक रिपोर्ट मिली है.

जिओलॉजिस्ट देवेन्द्र सिंह ने अपनी रिपोर्ट में सिरोही, बीकानेर और हनुमानगढ़ जिलों तथा मोतिया ब्लॉक नागौर क्षेत्र में पाये जने वाले पोटाश भंडारों के साथ भी लिथियम मिलने की प्रबल संभावना जताई है. जिओलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नागौर जिले के डेगाना की रेंवत पहाड़ी क्षेत्र में ग्रेनाइट की खानों में लीथियम का भंडार मिला है. रेंवत पहाड़ियों के आस-पास के क्षेत्र में मौजूद लीथियम का भंडार देश लीथियम की आपूर्ति में आत्मनिर्भर बना सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार देश की जरूरत का 80 फीसदी लीथियम का उत्पादन डेगाना की रेंवत पहाड़ियों में मौजूद लीथियम का भंडार ही पूरा कर सकता है.

दुनियाभर में लीथियम का उपयोग बेहतर गुणवत्ता की बैटरी बनाने के लिए किया जाता है. ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए लीथियम बैटरियों की बढ़ती मांग के अनुसार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, ईवी बाइक्स, कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल और पावर गैजेट्स में लीथियम बैटरियों का उपयोग हर साल बढ़ता जा रहा है. भारत की अभी पचास फीसदी से ज्यादा लीथियम की निर्भरता चीन पर है. पिछले तीस साल में दुनियाभर में लीथियम बैटरी पर 80 फीसदी निर्भरता हो गई है. निकल कैडमियम की बैटरियों के बाद अब फास्ट चार्जिंग, लंबे समयावधि और अधिक पावर के लिए लीथियम बैटरियों की उपयोगिता और मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है. लीथियम का उपयोग अलॉय निर्माण क्षेत्र में भी किया जाता है.

केन्द्रीय खनिज मंत्रालय ने हाल ही में जम्मू कश्मीर के रेसी जिले के सलाल-हायमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन लीथियम के भंडारण की पुष्टि की है. जम्मू कश्मीर के रेसी जिले के सलाल हायमाना क्षेत्र में बॉक्साइट और क्ले के साथ लीथियम के भंडारण मिले हैं. जबकि राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना में ग्रेनाइट की खानों में लीथियम के भंडार हैं. जीएसआई रिपोर्ट के अनुसार डेगाना में जम्मू-कश्मीर के रेसी जिले के भंडारण के कई ज्यादा गुणा मात्रा में लीथियम का भंडारण उपलब्ध है.

जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान के डेगाना में लिथियम के भंडार मिलने के बाद माना जा रहा है कि लीथियम के क्षेत्र में चीन पर निर्भरता खत्म होगी. भारत लिथियम के लिए पूरी तरह महंगी विदेशी सप्लाई पर निर्भर है. अब जीएसआई को डेगाना के आसपास लिथियम के बड़े डिपॉजिट मिले हैं. राजस्थान में लिथियम के भंडार डेगाना के उसी क्षेत्र में मिले हैं जहां से देश में टंगस्टन खनिज की सप्लाई होती थी.

दुनियाभर में फ्यूल एनर्जी से ग्रीन एनर्जी के साथ साथ एयर क्राफ्ट्स, विंड टरबाइन, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल और घर की हर छोटी-बड़ी चार्जेबल डिवाइस में लिथियम का उपयोग बढ़ता जा रहा है. साल 2050 तक लिथियम मेटल की दुनियाभर में 500 फीसदी तक मांग बढ़ने की संभावना है.

दुनियाभर में 210 लाख टन के भंडार के साथ बोलिविया देश में लीथियम का सर्वाधिक उत्पादन होता है. अर्जेंटीना, चिली और अमेरिका में भी बड़े भंडार होने के बावजूद 51 लाख टन के लीथियम भंडार वाले चीन की ग्लोबल मार्केट में मोनोपॉली है. देश को लीथियम के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई जिलों में दूसरी जगहों पर भी लिथियम के भंडारणों की खोज तेज से की जा रही है.

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