क्रिकेटर मोहम्मद शमी से अलग रह रही उनकी पत्नी हसीन जहां की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के अलीपुर के सेशंस जज से कहा कि वह शमी की तरफ से लगाई गई रिवीजन याचिका का 1 महीने में निपटारा करें.
हसीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की थी कि शमी के खिलाफ उनकी तरफ से दर्ज आपराधिक केस पर कार्यवाही 4 साल से रुकी हुई है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि शमी ने सेशंस कोर्ट में रिवीजन याचिका लगा रखी है.
मोहम्मद शमी और हसीन जहां का निकाह 2014 में हुआ. शादी के कुछ सालों बाद हसीना जहां ने शमी पर कई तरह के आरोप लगाने शुरू कर दिए. उन्होंने शमी पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने, मारपीट करने और दूसरी महिलाओं से संबंध रखने के आरोप लगाए.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में भी उन्होंने यह आरोप दोहराए. हसीन जहां ने कहा कि क्रिकेट टूर में रहने के दौरान शमी ने अवैध संबंध बनाए. इसका विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की. दहेज की भी मांग की. हालांकि, मोहम्मद शमी लगातार इन आरोपों को झूठा बता कर इनका विरोध करते रहे हैं.
2018 में हसीन जहां ने आईपीसी की धारा 498a (दहेज उत्पीड़न) और 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने) के आरोप में पश्चिम बंगाल के अलीपुर के जादवपुर पुलिस स्टेशन में शमी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. मामले में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की कोर्ट ने शमी के खिलाफ वारंट भी जारी किया. शमी ने इसके खिलाफ सेशंस कोर्ट में रिवीजन याचिका लगाई. इसे सुनते हुए 2019 में सेशंस कोर्ट ने मामले पर रोक लगा दी.
इस साल मार्च में कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी सेशंस कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. हसीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाई कोर्ट और सेशंस कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने अलीपुर के सेशंस जज से कहा है कि वह 1 महीने में शमी की रिवीजन याचिका का निपटारा करें. अगर यह संभव न हो तो सीजेएम अदालत में लंबित कार्रवाई पर लगी रोक को हटाने की मांग पर आदेश दें.