उत्तराखंड: पूर्व सीएम हरीश रावत बेटे ओर दोस्ती के बीच फंसे, एक तरफ बेटा तो दूसरी तरफ वर्षों की दोस्ती

हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेंद्र रावत का चुनाव पूर्व सीएम हरीश रावत के नाक का सवाल बन गया है। उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने दो विकल्प हैं। एक ओर वे अपने बेटे को एकल नहीं छोड़ सकते, जो कि पहली बार चुनावी मैदान में कदम रख रहे हैं। दूसरी ओर, उन्हें खुद भी चुनावी समर में अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता है, जैसा कि वे पार्टी के एक अहम नेता हैं। यह दोनों स्थितियाँ हरिश रावत के लिए चुनावी समर में एक दुविधा प्रस्तुत कर रही हैं।

हरीश रावत अपने बेटे के प्रचार रथ की लगाम खुद हाथ में लिए हुए हैं, जबकि प्रदीप टम्टा की चुनावी वैतरणी को लेकर उन्हें चिंता है। टम्टा के मन में भी आस है कि हरीश रावत उनके जिले में प्रचार में उतरेंगे और कांग्रेस को वहां मजबूती मिलेगी।

हरीश रावत के सामने एक ओर उनका बेटा है, जबकि दूसरी ओर वर्षों पुरानी दोस्ती की यादें हैं। टम्टा की चुनावी वैतरणी को लेकर उनके मन में अनेक विचार घूम रहे हैं, जबकि हरीश रावत को अपने बेटे की प्रचार यात्रा का पूरा ध्यान देना होगा।

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