आदर्श आचार संहिता एक समूह है जो राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए तैयार किया गया है, जो राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है। इसमें चुनाव आयोग की भूमिका अहम है और संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनावों का आयोजन चुनाव आयोग का सांविधिक कर्तव्य है।
बता दे कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तारीखों की घोषणा करने की तारीख से इसका प्रारंभ होता है और यह चुनाव प्रक्रिया के पूर्ण होने तक स्थायी रहता है। जब लोकसभा चुनावों का समय आता है, तो आदर्श आचार संहिता पूरे देश में पालन होती है, जबकि विधानसभा चुनावों के समय यह संहिता पूरे राज्य में लागू होती है।
बात करे इसकी विशेषताओ कि तो यह राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान उचित व्यवहार का पालन करना चाहिए, जिसमें चुनाव प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिन की गतिविधियों और सत्ताधारी दल के कामकाज की शर्तें शामिल हों।
मंत्रियों को अपने आधिकारिक दौरे में चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों को मिलाने की अनुमति नहीं है, न ही वे चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का प्रयोग करेंगे। तथापि, चुनाव प्रचार दौरे के साथ आधिकारिक दौरे को मिलाने के लिए आदर्श आचार संहिता के प्रावधान के अनुसार प्रधानमंत्री को छूट दी गई है। किसी भी सरकारी वाहन जैसे कि विमान, वाहन इत्यादि का किसी दल या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।