नहीं बनी बात, चाचा-भतीजे ‘मिशन 22’ के लिए मुलायम सिंह की फोटो लगा निकले रथ यात्रा पर

आइए देखते हैं उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजा साथ आए या नहीं या दोनों विधानसभा चुनाव में अलग अलग होकर ‘ताल’ ठोकेंगे. जानते हैं दोनों नेताओं के शुरू हुए नए सियासी सफर’ के बारे में. ‘मिशन 22’ के लिए मंगलवार को दोनों चुनावी रथों पर सवार हो गए हैं. चाचा यानी शिवपाल यादव, भतीजा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं.

दोनों की ‘मंजिल’ यूपी से भाजपा सरकार को हटाना है, लेकिन रास्ते अलग-अलग हैं. अखिलेश समाजवादी पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष हैं तो शिवपाल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के मुखिया हैं. चुनाव से पहले शिवपाल और अखिलेश के एक साथ आने की कई बार चर्चाएं थी. कुछ दिनों पहले तक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश और शिवपाल को साथ लाने के लिए बहुत प्रयास किए लेकिन वह सफल नहीं हो पाए.

चाचा ने अखिलेश के साथ यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में एक साथ लड़ने के लिए कई बार ‘संदेश’ भेजे लेकिन भतीजे की ओर से बात आगे नहीं बढ़ाई गई. उसके बाद शिवपाल यादव ने ‘आक्रामक’ अंदाज में कहा था कि सपा के साथ समझौते का इंतजार खत्म हुआ और अब ‘महाभारत’ होगा.

‘जब चाचा भतीजे में बात नहीं बनी तो दोनों नेता मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श मानकर और उनकी बड़ी फोटो रथ पर आगे लगाकर आज जीत के रास्ते पर निकल पड़े हैं’. बता दें कि समाजवादी पार्टी से अलग होकर भी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना चुके शिवपाल यादव अभी अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से दूरी नहीं बना सके हैं. इसीलिए शिवपाल ने भी अपने रथ पर मुलायम सिंह यादव की फोटो लगा रखी है.

भतीजे अखिलेश यादव ने गंगा किनारे बसे शहर कानपुर से तो चाचा शिवपाल यादव ने कृष्ण नगरी और यमुना किनारे बसे मथुरा से रथ यात्रा की शुरुआत की . समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में ‘समाजवादी विजय यात्रा’ का ‘शंखनाद’ कर दिया.

माना जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव के लिए ये समाजवादी पार्टी के प्रचार का औपचारिक आगाज है. इस रथ यात्रा के तहत अखिलेश कानपुर से कालपी होते हुए महोबा जाएंगे. मुस्लिमों को लुभाने के लिए मुलायम सिंह के साथ-साथ अखिलेश ने आजम खान का भी फोटो लगाया है. ‘रथ यात्रा की शुरुआत करते हुए अखिलेश ने कहा कि उनका उद्देश्य चार महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का सफाया करना है’.

सपा से अलग हुए शिवपाल यादव का यूपी के कई जिलों में प्रभाव माना जाता है
भले ही शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपना नया दल बना लिया है लेकिन आज भी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उनका अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. ‌ प्रदेश में दो बार क्रांति रथ निकाल चुके मुलायम सिंह यादव के पद चिह्नों पर चलते हुए प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने ‘सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा’ का आगाज आज मथुरा के बांकेबिहारी मंदिर से आशीर्वाद लेकर किया. रथयात्रा में उनके पुत्र भी शामिल हैं.

इस दौरान शिवपाल यादव ने कहा कि आज बेहद खास दिन है इसलिए कृष्ण नगरी से किसी यात्रा का आगाज किया है . इस मौके पर उन्होंने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यहां माफिया और गुंडों का राज है. बता दें कि चाचा शिवपाल की रथ यात्रा बृज क्षेत्र मथुरा से होते हुए आगरा, इटावा, औरेया, कानपुर देहात, झांसी, महोबा फतेहपुर होते हुए प्रयागराज जाएगी. इसके बाद आखिरी चरण 27 नवंबर को रायबरेली में खत्म होगी.

विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव और शिवपाल यादव अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए अलग-अलग रथ पर सवार हुए हैं. चाचा-भतीजे दोनों ही मुलायम सिंह की तस्वीर के साथ प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए निकले हैं. देखना है कि सूबे में कौन मुलायम का असल सियासी वारिस बनकर उभरता है. इस बीच शिवपाल के रथ पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम भी सवार दिखाई दिए. अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रमोद प्रसपा में शामिल हो सकते हैं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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